फूल दिल तक़दीर में आए बहुत

फूल दिल तक़दीर में आए बहुत
पर हमें पत्थर के मन भाए बहुत //१

पाँव के छालों से रक्खा राबता
राह के काँटें भी शरमाए बहुत //२

जान लेकर भी शराफ़त देखिए
नुस्ख़े वो जीने के बतलाए बहुत //३

बस यही इक बात हमको याद है
भूलकर तुझको यूँ पछताए बहुत //४

नक़्श देखे रोज़ उसका इक वही
आइना अपने पे इतराए बहुत //५

जब तवक़्क़ो ही नहीं इस ज़ीस्त से
फिर हमें दुनिया क्यूँ समझाए बहुत //६

साथ मेरे देख कर तुमको सभी
चेहरे कितनों के यूँ मुरझाए बहुत //७

~ प्रशान्त ‘बेबार’

बह्र रमल मुसद्दस महज़ूफ़ 2122 2122 212

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