अब शजर से हवा नहीं मिलती

अब शजर से हवा नहीं मिलती
अर्श में कहकशां नहीं मिलती

सख़्त रुख़ वो हमेशा रखते हैं
ऊँचे सर को दुआ नहीं मिलती

आदतें छुपने की जो पड़ जाएं
इश्क़ में फिर वफ़ा नहीं मिलती

ज़िन्दगी तेरी रहनुमाई में
कितना चाहा कज़ा नहीं मिलती

कितने दर-ओ-दरीचे सुनता हूँ
कोई रस्ते सदा नहीं मिलती

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