उसके दिल में कहाँ समाते हम

उसके दिल में कहाँ समाते हम
ग़ैर पे हक़ नहीं जमाते हम

दिल में उसकी जबीं छुपाई है
ज़ख्म कैसे भला दिखाते हम

दूर तुम कबके हो गये हमसे
रिश्ते कैसे तन्हा निभाते हम

आमदा है वो सब जलाने में
आग उससे कहाँ छुपाते हम

हर तरफ़ शह्र में दंगा फैला
फूल किस किस जगह बिछाते हम

_बहर: फ़ाइलातुन-मुफाइलुन-फ़ेलुन_
मापनी: 2122 1212 22/112

— प्रशान्त ‘बेबार’

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