छुपन-छुपाई में देखो कैसे
कब से सदियाँ बीत रही हैं
दिन छुपता फिरता रातों से
रातें छुप-छुपके बीत रही हैं
दिन लुढ़क रहा है फैल रहा
रात का बँधके चलना क्या
एक ही सिक्के के दोनों पहलू
फिर लुकना क्या, छुपना क्या
छुपन छुपाई में देखो कैसे
कब से सदियाँ बीत रही हैं