ज़हर

रोज़ कतरा कतरा पीता हूँ
पोटुओं से छू छू कर;
या पी जाता हूँ बटन दबाकर
एक ही घूँट में ज़हर का प्याला

मिलता है अख़बार की पुड़िया में
या टीवी स्क्रीन पे बिखरा हुआ
ये ज़हर मुट्ठीभर रोज़ मेरे घर
भड़की ख़बरों में लिपटा आता है।

~ प्रशान्त ‘बेबार’

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