धत्त पगली ज़िन्दगी

क्या अजब सवाल करती है
ये जीना बेहाल करती है
मंज़िल से इक क़दम पहले
ये पक्का बवाल करती है

ऐ ज़िन्दगी, धत्त पगली ज़िन्दगी…

गुड़ की डली में लिपटी पहेली है
कभी भीड़ में भी तन्हा अकेली है
किसी को मिलती है यहाँ थोक में
किसी ने ज़ुल्मी किस्तों सी झेली है

ऐ ज़िन्दगी, धत्त पगली ज़िन्दगी…

दिल निचोड़ कर पूरा, जान लेती है
मौत की गोद में भी मोहलत देती है
माशूका सी हर दफ़ा, मांगे है बंदिगी
ऐ ज़िन्दगी, धत्त पगली ज़िन्दगी…

ऐ ज़िन्दगी, धत्त पगली ज़िन्दगी…

Note: The above lyrics is registered with Screenwriters Association of India, Mumbai. Unsolicited use will be considered as copyright infringement.

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