प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश:
क्या सुनाऊँ तुझे
काश ख़ुदा करे
रहूँ जुस्तुजू में तेरी, और फिर न पाऊँ तुझे
मगर ये हो नहीं सकता कि भूल जाऊँ तुझे
छाई रहे तू मेरी रूह पे इस क़दर
मैं नाउम्मीद के लम्हों में गुनगुनाऊँ तुझे
ये मुक्कदर, ये तक़दीर कभी तो दिखलाएगी
तू भुलाना चाहे मुझे, मैं रह-रह के याद आऊँ तुझे
तू फ़स्ल-ए-गुल की माफ़िक ख़ुशबुएँ लुटाती रहे
मैं शोख़ फ़िज़ाओं की तरह गुदगुदाऊँ तुझे
यूँ तो मैं तमाम रात आँखों में काट दूँ
मगर सुबह को हथेली पे लाके जगाऊँ तुझे
वैसे, बड़े शौक़ से सुनता है ये सारा ज़माना मुझे
मगर मैं यही सोचूँ,
क्या सुनाऊँ तुझे ।
What Should I recite to you
I wish
I stay focussed in your search
But don’t find you but this is impossible to say you adieu,
You stay embalmed in my soul in such a way
That in moments of disappointment
I enchant only your name’s array.
I hope someday, my destiny will show this devotion
More you forget me, more I come in your notion
You keep showering fragrances like spring flowers do
And I make you giggle like the naughty winds do.
Though I can spend millions of nights gazing at you
And still wake you up with dawn at my warm palm
I am well-listened by all the times, old or new
But I ponder, what should I recite to you.
काश ख़ुदा करे
किसी सहर मेरी यह हसरत ख़्वाब में आये तुझे
इसी बहाने सही, दिल की बात तो बताऊँ तुझे
सामने तेरे तकिये पे, टिक के रात भर
पूरी पूरी रात, इकटक सुनता जाऊँ तुझे
हथेली पे सेकी सारी रात जो बैरन नींद
सुबह माथे पे सजाके, ऐसे सुलाऊँ तुझे
हसीं ख़्वाबों में तेरे, थोड़ा और क़रीब जाके
गर्म साँसों से अपनी गुदगुदाऊँ तुझे
और हो बेचैन जब तू यहाँ वहाँ ढूंढे
तब अपनी आहट तक, न जताऊँ तुझे
तेरे गालों के गड्ढ़ों को मैं अपने होठों से भरदूँ
रोज़ ऐसा ही कुछ करके, हौले से जगाऊँ तुझे
तेरे नक्श, तेरी भोहों को अपनी बेहिसाब सहलाहट से
कोई हसीन मूर्ति सा, अपने हाथों से बनाऊँ तुझे
तेरी लटों को तेरे कान के पीछे लगा
और माथे की शिकन को अपनी उंगली से मिटा
कोई ऐसा एहसास तो दे जाऊँ तुझे ।
वैसे आँखों से तो मैं सब कह ही देता हूँ
इन कमबख़्त लफ़्ज़ों में बता, क्या सुनाऊँ तुझे ।
I Wish
I yearn some morn, my desire dawns in dreams upon you;
An excuse to express my feelings I could convey to you.
By holding elbow on a cozy pillow in front of you,
Listening without a blink, the whole night to you
Warmth of palm induces you to fall in deep slumber
On this barren night exhausted and plumper.
In your dreams, I come closer to your fire
With my warm breath, to invoke your desire
You become restless and look out for me
I vanish, becoming fragrance in your attire.
Filling the dimples on your cheeks with my warm lips
With bountiful nearness and unending bliss,
By doing like this, I wake you up with connection
I carve you like a statue chiselled to perfection.
Caressing your tresses from the back of your ear
Smoothing wrinkles on forehead by fingertip cheer
Though I always say it all with my speaking eyes
But what word shall I recite to you that ties.