Time Killing

जो ज़्यादा होता है
वही जीतता है ।

जब वक़्त कम था
और हम ज़्यादा
तो हम वक़्त काट रहे थे,

आज वक़्त बहुत ज़्यादा है
और हम कम
तो वक़्त हमें काट रहा है

ज़ेहन मजबूरियां जानता है
पर मन कहाँ मानता है
हर लम्हा, हर पल
वक़्त हमें नोंच रहा है
रूह को खोंच रहा है

शुरू में वक़्त ने पैर कुतरे, घुटने चाटे
अब कमर तक खा गया है,
तिल-तिल उंगलियाँ कुतर रहा है वक़्त,
कुहनी कहाँ टिकाऊँ
किस याद की तिपाही पे,

वक़्त की भेजी ये रात बड़ी भूखी है
नींद खा गयी मेरी
फिर ख़्वाब चाटे और
तब भी पेट न भरा तो
धोखा करके बाल ले जा रही है
सुब्ह रोज़ गुसलखाने में
नाली की जाली पे मुट्ठी भर लाश मिलती है उनकी

अख़बार, फ़ोन, टीवी, क़िताबें
सब का ज़ायका चखता हुआ
ये वक़्त, अब काट रहा है हमें

इक्कीस बिलियन साल का वियोग था
आधा कुतरा, आधा कटा
बस ये दिल बचा है मेरे पास
अभी तो सात बिलियन बार और कटना बाक़ी है
आ जाओ जल्दी कि
आज डार्विन याद आ रहा है।

~ बेबार

Spread the love
Menu
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x