जब से तेरी आवाज़ की बाली
इन कानों में डाली है
मेरे छोटे छोटे ख़्वाबों की
नींदों पे बड़ी सवाली है
ज़माने को लाख मनाया
मगर मेरा ऐतबार नहीं
कहे ये फ़क़त जवानी बातें हैं
इश्क़ मुहब्बत प्यार नहीं
आँखें मेरी रही ढूँढती
अक्स तेरी आवाज़ों के
सूने सूने पते हैं सारे
सब खिड़की दरवाज़ों के
देख तेरी सदाएँ सुनके
जाँ आफ़त में डाली है
नहीं है कोई मख़मल का ढेला
ये इश्क़ बड़ा बवाली है